आज हम आपको बताने जारहे केदारनाथ के विषय में पूर्ण जानकारी आपको गूगल की कहानिया नहीं सुनाएंगे आपको चलिए शुरू करते है।
केदारनाथ धाम पहाड़ो के बिच में स्थित है एक तरफ से एक इसकी उचाई २१००० फुट है और दूसरी तरफ से मंदिर की उचाई २२६०० फुट उचाई पर स्थित है , तीसरी तरफ से केदारनाथ धाम की उचाई २२१०० फुट है भारत कुंड। इतना ही नहीं केदरनाथ मंदिर में इतनी बर्फ गिरती है की मंदिर का टॉप पॉइंट ही बस दिखता है आप सोच सकते हो क्यों ६ माह बाद कपाट खुलते है केदारनाथ मंदिर के

केदारनाथ धाम जैसा की आप सब को ज्ञान है की केदारनाथ टेम्पल भगवन शिव का द्वार है। आप अगर भगवन में श्रद्धा है तो आपको केदारघाटी में जरूर आना चाइये। केदरनाथ मंदिर यात्रा एक सुखद अनुभव है ये आपको कहानी के पॉइंट से नहीं बतरा हु आपको यह मेरा खुद का अनुभव है।
केदारनाथ टेम्पल उत्तराखंड में स्थित है केदारनाथ धाम में भगवान शिव का निवास स्थान है यह आकर आप बहुत ही सुखद अनुभव करते है केदारनाथ धाम हर वर्ष अक्षयत्रित्य पर केदारनाथ के कपट खुलते है। विश्व भर के तीर्थ यात्री कपाट खुलने का बहुत ही इंतज़ार करते है। केदारनाथ टेम्पल में हर वर्ष लाखो करोड़ो की संख्या में तीर्थयात्री आते है भगवान भोलेनाथ के दर्शन करते है । केदारबाबा भी अपने आने वाले सभी भक्तो के कष्ट हारते है और उन्हें खुशिया देते है।
केदारनाथ अगर आप सच्ची श्रद्धा से आते है तो आप पर भगवान केदार बाबा आप पर कृपा जरूर करेंगे केदारनाथ धाम को केदारघाटी भी कहा जाता है क्यूंकि केदारनाथ मंदिर पहाड़ो के बीचो बिच स्थित है और वह स्थान एक घाट के रूप में प्रतीत होता है इस लिए केदारघाटी भी कहा जाता है। केदारनाथ मंदिर में भगवान शिव के कमर का हिस्सा स्थित है यह एक पौराणिक कथाओ के अनुसार है शिवलिंग का बहुत ही सुन्दर रूप देखने को मिलता है ।
केदारनाथ क्यों आये

केदारनाथ टेम्पल आने का सबसे बड़ा उदेश्ये है आपका धार्मिक होना अगर आप थोड़ा सा भी आप भगवान में श्रद्धा करते है तो आप केदारनाथ मंदिर आ सकते है यह स्थान आपके लिए बहुत ही सुखदायी होगा आपको यहाँ पर ऊँचे ऊँचे पहाड़ देखने को मिलते है। बड़े बड़े झरने और केदारनाथ मंदिर के पास स्नो फॉल का आनंद ।
केदरनाथ धाम में हर वर्ष लाखो कावड़िये भी भगवान शिव के दर्शन के लिए यहां पहुंचते है और भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करते है। भगवान अपने सभी भक्तो पर अपनी कृपा करते है सभी इछाओ का फल भगवान शिव देते है
अगर आप मौज मस्ती के लिए आना चाहते है तो यह मत आइये भोलेनाथ का प्रकोप हम देख चुके है १६ -१७ जून २०२१ को जब प्रकर्ति ने हम सबको दिखाया था असली राजा तो भगवान शिव है हम वो ही करते है जो भगवान शिव चाहते है
केदारनाथ कैसे पहुंचे
केदारनाथ पहुंचने के लिए आपको ट्रैन द्वारा हरिद्वार या ऋषिकेश तक आ सकते है। आप हरिद्वार ट्रैन से आइये हरिद्वार में हर की पौड़ी पर गंगा स्नान कीजिये और यात्रा की शुरुवात करते है आपको अब यहां से आपको यहाँ से आगे जाने के लिए आप चाहे तो टैक्सी बुक कर सकते हैं या बस से भी जा सकते हैं। हरिद्वार से सोनप्रयाग 235 किलोमाटर और सोनप्रयाग से गौरीकुंड 5 किलोमाटर आप सड़क मार्ग से किसी भी प्रकार की गाड़ी से जा सकते है।
आप अगर जल्द यात्रा पूर्ण करना चाहते है तो आपको पहला स्टोपेज गौरीकुंड होना चाइये आप रात को गोरी कुंड पहुंचने का प्रयास आकर यही -पर रूम बुक करे यह मेरा अनुभव कहता है । आप सुबह उठकर गौरीकुंड टेम्पल पहुंचे और कुछ ही लोगो को पता है यहाँ पर गंगा यमुना जी का संगम है आप यात्रा शुरू करने से पहले यहाँ स्नान करे और अपनेयात्रा शुरू करिये।
आगे आपको १६ कम की यात्रा पैदल करनी है आप मन में भोलेनाथ का जप करे तो आपकी यात्रा बहुत ही सुखद होगी रस्ते में आपको घोड़े की सुविधा भी मिलती है आप जैसे मर्जी यात्रा कर सकते ह। आपको एक ही दिन में केदारनाथ धाम तक पहुंचने के प्रयास करना है आप मंदिर के पास आपको टेंट अविलबले हो जाते है जिससे आप रात को टेंट में सोना होगा क्यूंकि रात को मंदिर में ठण्ड बहुत होती है कई बार बर्फ़बारी भी होती है तो आप यात्रा में कपूर अपने साथ रखे जो आपको साँस लेने के लिए सुखद रहेगा क्यूंकि सही इंसान की भी यात्रा करके साँस फूल ने लगती है। आप सुबह उठकर भगवान केदारनाथ जी के दर्शन कर सकते है।
केदारनाथ धाम में पहुंचने का एक ही तरीका है बाई रोड आप केदारनाथ मंदिर तक पहुंच सकते है आप हरिद्वार से ऋषिकेश के रस्ते से आप केदारनाथ धाम तक पहुंच सकते है। केदारनाथ टेम्पल तक ट्रैन नहीं जाती है पर जैसा काम मोदी सरकार कर रही है आप को जल्द ही ट्रैन से भी चार धाम यात्रा आप कर सकते है। केदारनाथ धाम तक पहुंचने के लिए आप हरिद्वार से बस से भी जा सकते है। केदारनाथ मंदिर पहुंचने के लिए आपको चाइये आपको एक वाहन आपकी बाइक , कार , या बस के द्वारा पहुंच सकते है।
केदारनाथ मंदिर कब जाये

केदारनाथ मंदिर के कपट हर साल अक्षय तृत्य पर खुलते है और बंद होने का समय दीपावली के बाद क्युकी ६ माह यहाँ पर बर्फ होती है आप की यात्रा करने का सही समय मई से जून तक और aug से सितम्बर तक क्यूंकि जुलाई में मानसून के कारन बहरी बर्फ़बारी और भरी बारिश होती है जिससे केदारनाथ जी की यात्रा करने में दिक्कत अति है। और पहाड़ी इलाका होने के कारन यहां पर बहुत ही स्थान पर लैंड स्लाइड होते है तो आप जुलाई में यात्रा न करके अप्रैल से जून के बिच में यात्रा कीजिये और यात्रा का आनंद ले।
केदारनाथ के रास्ते में विभिन्न स्थनों की दूरियां
- दिल्ली से हरिद्वार: 250 से 300 किलोमीटर
- हरिद्वार से ऋषिकेश: 24 किलोमीटर
- ऋषिकेश से देवप्रयाग: 71 किलोमीटर
- देवप्रयाग से श्रीनगर: 35 किलोमीटर
- श्रीनगर से रुद्रप्रयाग: 32 किलोमीटर
रुद्रप्रयाग से दो रास्ते: एक रास्ता केदारनाथ और दूसरा रास्ता बदरीनाथ
- रुद्रप्रयाग से गुप्तकाशी: 45 किलोमीटर
- गुप्तकाशी से सोनप्रयाग: 31 किलोमीटर
- सोनप्रयाग से गौरीकुंड: 5 किलोमीटर
- गौरीकुंड से केदारनाथ: 16 किलोमीटर (नया रास्ता और पैदल चढ़ाई)
केदारनाथ यात्रा का बजट
केदारनाथ यात्रा के बजट के लिए आपको बहुत मोटी रकम नहीं लगेगी आपकी यात्रा के लिए लगभग आपके ७००० से १०००० रूपये लगते ह। इतने आप को ऐसी यात्रा मिलना बहुत मुश्किल है आपको काम रूपये में चार धाम में से एक धाम की यात्रा करने को मिलती है अगर आप परिवार के साथ यात्रा करते है तो आप ४ फॅमिली पर्सन का लगभग २०००० के आस पास खर्चा आता है इसका भी एक कारण है आपको गाड़ी जो बुक करनी है ६००० से ८००० के बिच में होगी जिसमे ५ बंदे आसानी से जा सकते है आपका रूम का खर्चा ४०० से ८०० रूपये रूम का लगता है अगर आप पिक सेशन में नहीं जाते है। यात्रा का आनंद लीजिये और भोलेनाथ का नाम लीजिये जय शिव शम्भू
केदारनाथ यात्रा के लिए जरुरी सामान
केदारनाथ यात्रा के लिए जरुरी सामान आपको बताने जारहे है रेन कोट , कपूर [ साँस लेने में दिक्कत न हो ] , सर्दी के कपडे जितना हो सके क्युकी कई बार टेम्प्रेचर माइनस में भी पहुंच जाता है , चने , बादाम जो स्टैमिना बढ़ाते है यात्रा में साथ साथ खाने के लिए , पावर बैंक भी आपको चाइये जिससे आप प्रकर्ति के नजारे आपने कैमरा में कैप्चर कर सके।
केदारनाथ होटल
केदारनाथ में आपको ५ स्टार होटल तो नहीं पर धर्मशाल या मध्यम होटल जरूर मिल सकते है तो आप अगर केदारनाथ धाम में होटल चाहते है तो आपको मध्यम होटल बुक करना पड़ेगा। केदारनाथ धाम में खाना आपको आलू के पराठे और चाय का नाष्ता करना चाइये कुकी यात्रा में हल्का फुल्का खाना खाना चाइये
2013 केदारनाथ डिजास्टर

केदारनाथ मंदिर में सबको पता है १६ जून २०१३ में हजारो तीर्थ यात्रियों की मृत्यु हो गयी थी । कहा जाता है १३ जून से ही केदारनाथ धाम में बारिश शुरू होगयी थी वहां जो लोग बचे थे उन्होंने बताया था ऐसे बारिश उन्होंने आजतक नहीं देखि थी उन्हें कुछ अशुभ होने की घटना का पहले से ही अंदाज़ा होगया था कुछ लोग समाया से ही वापस आगये पर कुछ लोग कारणवश वही रह गए और बारिश लगातार ३ दिन तक चलती रही और तेज़ तेज़ बिजली कड़कने से लोगो का दिल सहमति जा रहा था
१६ जून की रात को केदारनाथ धाम के उप्पर बना सरोवर बांध टूट गया और सारा पानी केदारनाथ धाम मंदिर के पीछे से होता हुआ पुरे केदारनाथ में त्राहि त्राहि होगयी थी । कुछ लोगो ने समझदारी की और वो लोग पहाड़ो पर ऊपर की और चले गए वो बच गए और कुछ लोग मंदिर के भीतर चले गए कहा जाता है मंदिर के भीतर पर रहने की जगह नहीं थी बांध का सारा पानी मंदिर के पीछे से होता हुआ आया पर अचानक एक चमत्कार हुआ भोलेनाथ का मंदिर के पीछे एक शिला आकर रुक गयी जिसे भीम शिला के नाम से जाना जाता है। जिस शिला की वजह से मंदिर को बिलकुल भी नुकसान नहीं हुआ।
जो लोग होटल में थे या भर तम्बू में थे वो सब बाह गए और भोलेनाथ ने उन्हें अपने पास बुला लिया। मंदिर के अलावा केदारनाथ में सब कुछ ख़तम होगया था। मंदिर के आस पास लाशो के ढेर लग गए थे और कंकाल थे वो नजारा देखना बहुत ही मुश्किल था । आप सबसे एक ही गुजारिश है आप जब भी यात्रा पर जाये सच्ची श्रद्धा से जाये न की अपने मजे के लिए २०१३ केदारनाथ त्रासदी या केदारनाथ फ्लड इसका बेस्ट एक्साम्प्ले है केदारनाथ मंदिर से गोरीकुंड तक सब ख़तम होगया था आप खुद अंदाज़ा लगा सकते है की कितना नुकसान हुआ होगा कितने जाने गयी होंगी केदारनाथ त्रासदी में । मई जब २०१८ में गया था तब भी पहाड़ो पर बाइक करो के टायर या लोगो का सामान देखने को मिला आप खुद सोच सकते है कितने लोगो की जान गयी थी। गंगा जी अपने पुरे उफान पर थी